भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने 2 नवंबर (रविवार) को आईसीसी महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 जीतकर इतिहास रच दिया है। हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में टीम इंडिया ने नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स एकेडमी में हुए खिताबी मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर अपना पहला वर्ल्ड कप खिताब जीता। इस ऐतिहासिक सफलता के पीछे, खिलाड़ियों के दमदार प्रदर्शन के साथ-साथ, टीम के मुख्य कोच अमोल मजूमदार की शांत, लेकिन सटीक कोचिंग और रणनीतियों का एक बड़ा हाथ रहा है।
मानसिक मजबूती का परिणाम: मजूमदार का 'टर्निंग पॉइंट'
भारतीय टीम ने टूर्नामेंट की शुरुआत में लगातार तीन मैच गंवा दिए थे, जिससे टीम थोड़ी पिछड़ गई थी और आत्मविश्वास डगमगा गया था। ऐसे नाजुक मोड़ पर, मजूमदार ने न सिर्फ तकनीकी सुधार पर ध्यान दिया, बल्कि खिलाड़ियों में मानसिक आत्मविश्वास जगाने पर भी जोर दिया। टीम इंडिया की यह जीत केवल तकनीकी कौशल का नहीं, बल्कि मानसिक रूप से मजबूत क्रिकेट का भी परिणाम थी। मैच के बाद कप्तान हरमनप्रीत कौर द्वारा कोच अमोल मजूमदार के प्रति दिखाए गए कृतज्ञता के भाव ने उनके मजबूत रिश्ते और कोच की भूमिका को उजागर किया।
मजूमदार स्वयं भारतीय क्रिकेट के उन बेहद प्रतिभाशाली खिलाड़ियों में रहे हैं, जिन्हें घरेलू क्रिकेट में रनों का पहाड़ खड़ा करने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका नहीं मिल पाया। अपनी कोचिंग में महिला टीम को विश्व कप जिताने के बाद, उनकी यह कसक थोड़ी कम जरूर हुई होगी।
युवा प्रतिभाओं को मिला अमोल का साथ
50 वर्षीय अमोल मजूमदार की कोचिंग में भारतीय महिला खिलाड़ियों की फिटनेस, आत्मविश्वास और तकनीकी पहलुओं में जबरदस्त सुधार देखने को मिला है। उन्होंने युवा खिलाड़ियों को खुलकर बैक किया, जिससे उन्हें निखरने का मौका मिला।
	- 
	
सुधार और विकास: मजूमदार के नेतृत्व में प्रतीका रावल, क्रांति गौड़, अमनजोत कौर जैसी युवा खिलाड़ियों ने अपने खेल में जबरदस्त सुधार किया।
	 
	- 
	
दुनिया को संदेश: उनकी कोचिंग में टीम इंडिया ने न सिर्फ वर्ल्ड कप जीता, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि भारत की युवा महिला खिलाड़ी अब किसी भी दिग्गज टीम को टक्कर देने में पूरी तरह सक्षम हैं।
	 
घरेलू क्रिकेट के दिग्गज: एक अधूरा सपना
अमोल मजूमदार का करियर हमेशा भारतीय क्रिकेट में 'क्या होता अगर' की कहानियों में गिना जाता है। वह मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के क्लासमेट रहे हैं और उनकी कप्तानी में तेंदुलकर ने मुंबई का प्रतिनिधित्व किया था। अपनी जबरदस्त प्रतिभा के कारण उनकी तुलना अक्सर सचिन से की जाती थी।
दाएं हाथ के बल्लेबाज मजूमदार के आंकड़े उनकी निरंतरता और क्लास का सबूत हैं:
	- 
	
फर्स्ट क्लास करियर: 171 मैचों में शानदार 11,167 रन बनाए, जिसमें 30 शतक शामिल हैं। उनका औसत 48.13 रहा।
	 
	- 
	
रणजी ट्रॉफी में दबदबा: उन्होंने मुंबई, आंध्र और असम जैसी टीमों का प्रतिनिधित्व करते हुए कुल 9205 रन बनाए, जो उन्हें वसीम जाफर के बाद रणजी इतिहास में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है।
	 
	- 
	
लिस्ट-ए रिकॉर्ड: लिस्ट-ए मैचों में 38.20 की औसत से 3286 रन बनाए, जिसमें 3 शतक और 26 अर्धशतक शामिल थे।
	 
कोचिंग का सफल अध्याय
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, अमोल मजूमदार ने कोचिंग को अपना करियर बनाया। अक्टूबर 2023 में उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हेड कोच बनाया गया था, जिसके बाद से टीम ने नई ऊंचाइयों को छुआ है।
	- 
	
मजूमदार नीदरलैंड्स और दक्षिण अफ्रीका की पुरुषों की टीमों के साथ भी काम कर चुके हैं।
	 
	- 
	
वह भारतीय अंडर-19 और अंडर-23 क्रिकेट टीमों के कोच भी रह चुके हैं।
	 
	- 
	
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में उन्होंने राजस्थान रॉयल्स (RR) के बैटिंग कोच का पद भी संभाला था।
	 
अमोल मजूमदार की कहानी इस बात का प्रमाण है कि असली खिलाड़ी सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मैदानों पर ही नहीं, बल्कि अपने जुनून, बुद्धिमत्ता और कोचिंग के माध्यम से भी इतिहास रच सकते हैं।