बिहार सरकार का बड़ा फैसला: सनातन धर्म को प्रोत्साहन देने के लिए सभी जिलों में नियुक्त होंगे संयोजक

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Posted On:Monday, November 24, 2025

बिहार सरकार ने राज्य में सनातन धर्म के संरक्षण और प्रसार को मजबूती देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद (BSRTC) ने घोषणा की है कि राज्य के सभी 38 जिलों में संयोजक नियुक्त किए जाएंगे, जो अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित पंजीकृत मंदिरों और मठों की धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का संचालन एवं समन्वय करेंगे।
यह कदम न केवल धार्मिक परंपराओं को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि समुदायों के बीच सांस्कृतिक एकजुटता को भी बढ़ावा देने का प्रयास है।

2,499 मंदिरों और मठों की निगरानी का जिम्मा

परिषद के अध्यक्ष रणबीर नंदन ने जानकारी दी कि बिहार में कुल 2,499 पंजीकृत मंदिर और मठ हैं, जिनकी गतिविधियों को सुव्यवस्थित करने के लिए यह नई व्यवस्था लागू की जा रही है।
इन संयोजकों का चयन आगामी कुछ दिनों में शुरू होगा और महत्वपूर्ण बात यह है कि चयन केवल महंतों (मुख्य पुजारियों) में से किया जाएगा, ताकि धार्मिक गतिविधियों में अनुभवी और पारंपरिक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों का मार्गदर्शन मिले। नंदन का कहना है कि इस कदम से राज्यभर में धार्मिक परंपराओं के संरक्षण, पूजा-पद्धतियों के एकरूप पालन और सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान में नई दिशा मिलेगी।

पूर्णिमा और अमावस्या पर अनिवार्य पूजा-पद्धति

नई व्यवस्था के तहत संयोजकों के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके जिले के सभी मंदिर और मठ प्रत्येक पूर्णिमा पर ‘सत्यनारायण कथा’ और अमावस्या पर ‘भगवती पूजा’ अनिवार्य रूप से करें। इसका उद्देश्य पूजा-पद्धतियों को नियमित बनाना, धार्मिक अनुशासन कायम रखना और सनातन धर्म की मूल शिक्षाओं को व्यापक जनसमूह तक पहुंचाना है।

इसके साथ-साथ संयोजक यह भी सुनिश्चित करेंगे कि पूजा-विधियों का महत्व लोगों को समझाया जाए और उन्हें अपने घरों में भी ये पूजा करने के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि धार्मिक जागरूकता और सामाजिक सामंजस्य का विस्तार हो सके।

अखाड़ों के अभ्यास के लिए समर्पित स्थान अनिवार्य

धार्मिक न्यास परिषद ने निर्देश जारी किया है कि सभी पंजीकृत मंदिरों और मठों में अखाड़ों के अभ्यास के लिए अलग स्थान बनाया जाए। उनका मानना है कि मंदिर और मठ केवल पूजा-अर्चना के केंद्र ही नहीं, बल्कि सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक सुधारों के मंच भी होने चाहिए। अखाड़ों के अभ्यास से युवाओं में अनुशासन, शक्ति, परंपरा और सांस्कृतिक ज्ञान का विकास होगा, जिससे सनातन धर्म की मूल अवधारणाएं समाज में गहराई से फैलेंगी।

छठ पूजा को यूनेस्को में शामिल कराने का प्रयास

रणबीर नंदन ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में छठ पूजा को यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कराने की पहल को तेज करने की बात कही है। नंदन ने इसे बिहार के लिए गर्व की बात बताते हुए कहा कि छठ पूजा बिहार की पहचान है और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग इस त्योहार को जिस श्रद्धा, अनुशासन और पवित्रता के साथ मनाते हैं, वह विश्वभर की सांस्कृतिक विरासत में शामिल होने योग्य है।


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