मुंबई, 15 जनवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। साउथ कोरिया में पद से हटाए गए राष्ट्रपति यून सुक-योल को पुलिस ने बुधवार को उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया है। योल पर 3 दिसंबर 2024 को देश में मार्शल लॉ लागू करने के लिए आपराधिक जांच चल रही है। मार्शल लॉ (इमरजेंसी) के फैसले को देश की संसद ने 3 घंटे बाद ही पलट दिया था। इसके बाद 14 दिसंबर को संसद में योल के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाकर उन्हें पद से हटा दिया गया था। महाभियोग पर 14 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, जिसके लिए योल को कोर्ट में पेश होना था। योल कल कोर्ट में पेश नहीं हुए। इसके बाद जांच एजेंसियों की तरफ से उनके खिलाफ आज सुबह गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस को मौके पर भारी विरोध का सामना करना पड़ा। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक गिरफ्तारी के लिए 1000 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे।
न्यूज एजेंसी योनहाप की रिपोर्ट के मुताबिक योल की सुरक्षा में लगे गार्ड्स ने पुलिस को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की थी। योल समर्थक बड़ी संख्या में राष्ट्रपति आवास के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे। इसके बाद पुलिस ने सीढ़ी का इस्तेमाल कर योल के घर में दाखिल हुई। कोर्ट में पेश नहीं होने की वजह से कल से ही योल की गिरफ्तारी की आशंका जताई जा रही थी। रात से ही योल समर्थक प्रदर्शनकारी उनके घर के बाहर इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। पुलिस को सत्ताधारी पार्टी के सांसदों और योल के वकीलों ने भी रोकने की कोशिश की थी। इससे पहले 3 जनवरी को पुलिस ने भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में गिरफ्तार करने की कोशिश की थी। हालांकि, तब पुलिस को राष्ट्रपति के 200 गार्ड्स ने गेट पर ही रोक दिया था। योल के घर के बाहर हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी पहुंचे थे। करीब 6 घंटे तक चले हंगामे के बाद पुलिस को खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ा था।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक योल साउथ कोरिया के इतिहास में पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जिन्हें आपराधिक आरोपों पर पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया गया है। यून को गिरफ्तार करने वाली एजेंसी का नाम करप्शन इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (CIO) है। CIO बड़े नेताओं और अधिकारियों के भ्रष्टाचार की जांच करती है। यून सुक योल की गिरफ्तारी से पहले इसी एजेंसी ने राष्ट्रपति की गिरफ्तारी को लेकर वारंट जारी किया था। राष्ट्रपति की गिरफ्तारी से पहले ही दो और एजेंसियों (स्टेट प्रोसिक्यूटर्स और पुलिस) ने राष्ट्रपति के खिलाफ आपराधिक मामलों की जांच शुरू कर दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक अब CIO और पुलिस यून से जुड़े मामलों की जांच करेंगे और स्टेट प्रोसिक्यूटर्स यून के सहयोगियों से जुड़े मामलों को संभालेगी। CIO का गठन 4 साल पहले हुआ था। जो काम अब CIO करती है वह काम पहले स्टेट प्रोसिक्यूटर्स ऑफिस करती थी। लेकिन यह एजेंसी इस मामले में बहुत बदनाम है। ऐसा माना जाता है कि बड़े नेता इस एजेंसी का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए बड़े अधिकारियों की जांच के लिए अलग से एक एजेंसी का गठन हुआ।