डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से ही उनकी सरकार लगातार सुर्खियों में है। इस बार चर्चा का केंद्र हैं ट्रंप सरकार की गृह सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम (Kristi Noem)। एक संवैधानिक मुद्दे पर उनकी बुनियादी समझ की गलती ने उन्हें सोशल मीडिया से लेकर मीडिया चैनलों तक का विषय बना दिया है। इस विवाद ने अमेरिका की लोकतांत्रिक और संवैधानिक समझ पर भी नई बहस छेड़ दी है।
कौन हैं क्रिस्टी नोएम?
क्रिस्टी नोएम एक अनुभवी रिपब्लिकन नेता हैं और ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में उन्हें होमलैंड सिक्योरिटी (गृह सुरक्षा) विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 17 जनवरी 2025 को सीनेट की समिति ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी, और 25 जनवरी को उन्होंने विधिवत शपथ ली। शपथ ग्रहण के बाद से ही उन्होंने अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। वह ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति की सशक्त समर्थक मानी जाती हैं।
लेकिन उनके हालिया बयान ने उन्हें एक असहज स्थिति में डाल दिया है।
'हैबियस कॉर्पस' की गलत व्याख्या और विवाद की शुरुआत
सीनेट की एक समिति में एक संवैधानिक मुद्दे पर चर्चा हो रही थी, जहां 'हैबियस कॉर्पस' (Habeas Corpus) से संबंधित सवाल क्रिस्टी नोएम से पूछा गया। यह मूल अमेरिकी अधिकारों में से एक है, जो किसी व्यक्ति को गैरकानूनी या मनमाने तरीके से हिरासत में लिए जाने से बचाता है।
जब नोएम से पूछा गया कि 'हैबियस कॉर्पस' का क्या अर्थ है, तो उन्होंने जवाब दिया:
“यह राष्ट्रपति का संवैधानिक अधिकार है जिसके तहत वह किसी को देश से निर्वासित कर सकता है और उनके अधिकारों को निलंबित कर सकता है।”
इस बयान ने न सिर्फ सीनेट को चौंकाया, बल्कि देशभर में एक बहस छेड़ दी।
सीनेटर मैगी हसन ने किया हस्तक्षेप
सीनेट समिति की सदस्य और पूर्व वकील मैगी हसन ने तुरंत इस बयान को असंवैधानिक और तथ्यात्मक रूप से गलत बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि:
“हैबियस कॉर्पस का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी नागरिक को बिना कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में न लिया जाए। यह उन अधिकारों में से है जो अमेरिका को एक लोकतांत्रिक समाज बनाते हैं, न कि तानाशाही शासन।”
सीनेटर हसन ने यह भी जोड़ा कि ट्रंप सरकार के कई अधिकारी संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी कर रहे हैं और नोएम का यह बयान उसी दिशा में एक और कदम है।
सोशल मीडिया पर हंगामा
क्रिस्टी नोएम का यह वीडियो क्लिप कुछ ही घंटों में वायरल हो गया। #HabeasCorpus और #KristiNoem जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया कि क्या एक गृह सुरक्षा सचिव को इतना बुनियादी संवैधानिक ज्ञान नहीं होना चाहिए?
कुछ प्रमुख प्रतिक्रियाएं इस प्रकार थीं:
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एक ट्विटर यूजर ने लिखा: "जब देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी ऐसे लोगों के हाथ में हो, तो डर लगना लाजमी है।"
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एक कानून छात्रा ने लिखा: "कानून की पहली कक्षा में 'हैबियस कॉर्पस' पढ़ाया जाता है, और हमारी मंत्री इसका गलत अर्थ बता रही हैं!"
क्या कहती है ‘हैबियस कॉर्पस’ की असली परिभाषा?
‘Habeas Corpus’ एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है “आपका शरीर प्रस्तुत करें”। इसका उद्देश्य है कि कोई भी व्यक्ति सरकार या प्रशासन द्वारा अनिश्चित काल के लिए हिरासत में न रखा जा सके, जब तक कि उसे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर यह सिद्ध न कर दिया जाए कि उसकी गिरफ्तारी उचित और कानूनी है।
यह सिद्धांत अमेरिका के संविधान के अनुच्छेद 1, धारा 9 में उल्लेखित है, और इसे केवल राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में, जैसे युद्ध या विद्रोह के समय, अस्थायी रूप से निलंबित किया जा सकता है।
ट्रंप सरकार और संवैधानिक विवाद
यह पहला मामला नहीं है जब ट्रंप प्रशासन के किसी सदस्य ने संविधान की गलत व्याख्या की हो। इससे पहले भी ट्रंप की पहली सरकार में कई बार संवैधानिक और मानवाधिकार संबंधी मुद्दों पर विरोध और विवाद हो चुके हैं। लेकिन क्रिस्टी नोएम का यह बयान विशेष रूप से गंभीर और संवेदनशील माना जा रहा है, क्योंकि यह सीधे नागरिक स्वतंत्रता से जुड़ा है।
निष्कर्ष: क्या नोएम से सवाल पूछे जाएंगे?
क्रिस्टी नोएम की यह चूक महज एक "बयान की गलती" नहीं मानी जा रही है, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति की समझ पर सवाल खड़े करती है, जिसकी जिम्मेदारी लाखों अमेरिकियों की सुरक्षा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस घटना से नोएम की विश्वसनीयता को गहरा झटका लगा है और उन्हें अब अपने पद को लेकर सुनिश्चित स्पष्टीकरण देना होगा।
सवाल यह नहीं है कि उन्होंने गलत कहा, सवाल यह है कि क्या वह अपनी जिम्मेदारियों को समझने और निभाने में सक्षम हैं?
क्योंकि जब सुरक्षा की कुंजी किसी के हाथ में हो, तो ज्ञान और समझ की चूक एक देश को भारी पड़ सकती है।