अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने एक बार फिर से डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति और उनके व्यवहार पर करारा प्रहार किया है। इस बार उन्होंने भारत की शांत और व्यावहारिक कूटनीति की खुलकर तारीफ की है और ट्रंप के “धमकाने वाले रवैये” को गैर-राजनयिक करार दिया है। जॉन बोल्टन के इस बयान से अमेरिका की आंतरिक राजनीति में हलचल मच गई है, साथ ही भारत के विदेश नीति के कौशल को भी वैश्विक मंच पर एक बार फिर मान्यता मिली है।
भारत की चुप्पी को बताया 'स्मार्ट कूटनीति'
बोल्टन ने कहा कि ट्रंप जैसे नेता से निपटने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि उन्हें सार्वजनिक तौर पर चुनौती न दी जाए, बल्कि चुप रहकर अपने लक्ष्य साधे जाएं। भारत ने ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ पर सीधे प्रतिक्रिया नहीं दी, और यही “गुप्त कूटनीति” भारत की सबसे बड़ी ताकत साबित हुई। बोल्टन के अनुसार, यदि भारत ने सार्वजनिक रूप से विरोध किया होता, तो ट्रंप इस मामले को और जटिल बना सकते थे।
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50 से 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है और भारत के रूस से संबंधों पर सवाल उठाए हैं।
भारत-पाक युद्ध पर ट्रंप के दावे को बताया "अनुचित"
जॉन बोल्टन ने ट्रंप के उस दावे पर भी सवाल उठाए जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को उन्होंने शांत किया था। बोल्टन ने साफ कहा कि वाशिंगटन में उस समय इस बात को लेकर काफी चिंता थी, लेकिन ट्रंप ने अनुचित रूप से इस स्थिति का श्रेय खुद ले लिया। उन्होंने इसे न केवल भ्रामक, बल्कि खतरनाक भी बताया क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की गंभीरता को कम करता है।
रूस से भारत के संबंधों पर दी चेतावनी
बोल्टन ने यह भी कहा कि भारत को अब रूस से अपनी दूरी बनानी चाहिए क्योंकि रूस अब तेजी से चीन के साथ एक ध्रुव बनता जा रहा है। पुतिन और शी जिनपिंग की “बिना सीमाओं वाली साझेदारी” वैश्विक राजनीति के लिए खतरा है। बोल्टन ने प्रधानमंत्री मोदी के बीजिंग दौरे और वहां पुतिन, शी और किम जोंग उन के साथ उनकी तस्वीरों को लेकर कहा कि ये तस्वीरें अमेरिका के लिए एक "राजनयिक संदेश" थीं।
हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता की नीति को समझना जरूरी है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से भारत को पश्चिमी लोकतंत्रों के साथ खड़ा होना चाहिए।
अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर की योग्यता पर सवाल
बोल्टन ने अमेरिका द्वारा भारत में सर्जियो गोर को नए राजदूत के रूप में नामित करने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि गोर इस पद के योग्य नहीं हैं और यह निर्णय अमेरिका की विदेश नीति की गंभीरता को दर्शाने में विफल रहता है। बोल्टन के अनुसार, राजनयिक पदों पर योग्य और अनुभवी लोगों की जरूरत है, न कि राजनीतिक प्रचारकों की।