विश्व रेड क्रॉस दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस के रूप में मनाया जाता है। लगभग 150 वर्षों से दुनिया भर में रेड क्रॉस स्वयंसेवक असहाय और पीड़ित मानवता की मदद के लिए काम कर रहे हैं। भारत में वर्ष 1920 में संसद के एक अधिनियम के तहत भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी के गठन के बाद से ही रेड क्रॉस स्वयंसेवक विभिन्न आपदाओं में निस्वार्थ भाव से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस वर्ष इंटरनेशनल रेड क्रॉस ने अपना आदर्श वाक्य 'अपने पक्ष में स्वयंसेवक खोजें' दिया है। दुनिया के लगभग दो सौ देश एक विचार पर सहमत हैं और वह है रेड क्रॉस का विचार। रेड क्रॉस युद्ध के मैदान में घायल सैनिकों के इलाज के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं में फंसे लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है।
मरे हुओं को राहत के लिए अंतर्राष्ट्रीय समिति
बिना किसी भेदभाव के पीड़ित मानवता की सेवा करने के विचार की कल्पना करने वाले और रेड क्रॉस अभियान को जन्म देने वाले महान मानवतावादी जीन-हेनरी ड्यूनेंट का जन्म 8 मई 1828 को हुआ था। उनका जन्मदिन, 8 मई, दुनिया भर में विश्व रेड क्रॉस दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया और दुनिया भर के लोगों को मानव सेवक के रूप में स्थापित होने के लिए प्रेरित किया। सेवा कार्यों के लिए उनके द्वारा गठित सोसायटी को रेड क्रॉस कहा गया।
वर्तमान में रेड क्रॉस सोसायटी विश्व के 186 देशों में कार्य कर रही है। वर्ष 1901 में हेनरी ड्यूनेंट को उनके मानवीय कार्यों के लिए पहला नोबेल शांति पुरस्कार मिला। युद्ध में घायल सैनिकों की हालत से परेशान होकर हेनरी ड्यूनेंट ने 9 फरवरी 1863 को जिनेवा में एक पाँच सदस्यीय समिति का गठन किया। हेनरी की अवधारणा को 'इंटरनेशनल कमेटी फॉर रिलीफ टू द अंडरड' कहा गया। उसी वर्ष अक्टूबर में जिनेवा में ही एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें विभिन्न 18 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिसमें रेडक्रॉस के क्रियान्वयन हेतु एक प्रारूप तैयार किया गया।
इस संगठन की पहचान के लिए सफेद पट्टी पर लाल क्रॉस चिन्ह की शुरुआत की गई। आज यह प्रतीक पूरे विश्व में पीड़ित मानवता की सेवा का प्रतीक बन गया है। यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि दुनिया का पहला ब्लड बैंक 1937 में रेड क्रॉस की पहल पर अमेरिका में खोला गया था। आज विश्व के अधिकांश ब्लड बैंक रेड क्रॉस और उससे संबद्ध संगठनों द्वारा संचालित होते हैं। रेड क्रॉस द्वारा चलाए गए रक्तदान जागरूकता अभियान के कारण आज थैलेसीमिया, कैंसर, एनीमिया जैसी कई घातक बीमारियों से हजारों लोगों की जान बचाई जा रही है।