मुंबई, 20 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। श्रीलंका ने अब विदेशी रिसर्च जहाजों को अपने पोर्ट पर रुकने की इजाजत दे दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन की तरफ से विरोध किए जाने के बाद श्रीलंका ने विदेशी जहाजों के रुकने पर लगा बैन हटा दिया है। दरअसल, हाल ही में पड़ोसी देश ने एक जर्मन रिसर्च वेसल को अपने पोर्ट पर रुकने की इजाजत दी थी। इस पर चीन की एम्बेसी ने विरोध जताया कि जब फरवरी में उनके जहाज को रुकने की अनुमति नहीं मिली थी, तो जर्मनी के जहाज को क्यों रुकने दिया गया। वहीं, श्रीलंका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, विदेशी जहाजों हमारे पोर्ट पर रुककर रिसर्च नहीं कर सकते। लेकिन ये ईंधन भरने के लिए यहां रुक सकते हैं। दरअसल, पिछले साल श्रीलंका में 2 चीनी खुफिया जहाज रुके थे। इस पर भारत और अमेरिका ने हिंद महासागर में सुरक्षा की चिंता जताते हुए विरोध किया था। भारत के दबाव के बाद श्रीलंका ने विदेशी जहाजों के रुकने पर बैन लगा दिया था।
तो वहीं, श्रीलंका के विदेश मंत्री ने कहा था, भारत की चिंता हमारे लिए बेहद अहम है। हमने इसके लिए अब एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) बनाया है और इसे बनाते वक्त भारत सहित दूसरे दोस्तों से सलाह भी ली थी। इसके बाद इस साल फरवरी में चीन का जासूसी जहाज श्रीलंका की जगह मालदीव की राजधानी माले के पोर्ट पर रुका था। मालदीव और श्रीलंकाई बंदरगाह पर पहुंचने वाले चीनी जहाजों की जद में आंध्रप्रदेश, केरल और तमिलनाडु के कई समुद्री तट आ जाते हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि चीन ने भारत के मुख्य नौसेना बेस और परमाणु संयंत्रों की जासूसी के लिए इस जहाज को श्रीलंका भेजा है। चीन के जासूसी जहाजों में हाई-टेक ईव्सड्रॉपिंग इक्विपमेंट (छिपकर सुनने वाले उपकरण) लगे हैं। यानी श्रीलंका के पोर्ट पर खड़े होकर यह भारत के अंदरूनी हिस्सों तक की जानकारी जुटा सकता है। साथ ही पूर्वी तट पर स्थित भारतीय नौसैनिक अड्डे इस शिप की जासूसी के रेंज में होंगे। चांदीपुर में इसरो के लॉन्चिंग केंद्र की भी इससे जासूसी हो सकती है।