मुंबई, 18 जनवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। PM मोदी ने 10 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 65 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्ड बांटे। कार्यक्रम में वर्चुअली जुड़े पीएम मोदी ने कहा, आज का दिन गांवों के लिए अर्थव्यवस्था के लिए अहम है। 5 साल पहले यह योजना शुरू की गई थी, ताकि गांव में रहने वालों को उनके घर का कानूनी प्रमाण दिया जा सके। मोदी ने कहा, 21वीं सदी में प्रॉपर्टी राइट्स की चुनौती रही है। कई साल पहले यूनाइटेड नेशंस ने कई देशों में भू संपत्ति पर स्टडी की थी। इसमें पता चला था कि दुनिया के कई देशों में लोगों के पास प्राॅपर्टी के पक्के दस्तावेज नहीं है। UN ने कहा था कि अगर गरीबी कम करनी है तो लोगों के पास प्रॉपर्टी राइट्स होना जरूरी है। इस योजना के तहत हमने गांवों के करीब सवा 2 करोड़ लोगों को अपने घर का पक्का कानूनी दस्तावेज दिया है। पहले गांव में लोगों के पास लाखों-लाख करोड़ की संपत्ति होने के बावजूद उसकी इतनी कीमत नहीं थी। क्योंकि उनके पास कानूनी दस्तावेज होते ही नहीं थे। अब 100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की इकोनॉमिक एक्टिविटीज का रास्ता खुल गया है। दरअसल, मोदी वर्चुअली इस इवेंट में शामिल हुए, जबकि फील्ड पर 13 केंद्रीय मंत्री मोर्चा संभाला। कई राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, संबंधित राज्यों के मंत्री और पंचायत प्रतिनिधि भी वर्चुअली शामिल हुए।
मोदी ने कहा, गांव में लोगों के पास लाखों-लाख करोड़ की संपत्ति होने के बावजूद उसकी इतनी कीमत नहीं थी। क्योंकि उनके पास कानूनी दस्तावेज होते ही नहीं थे। घर की मिलकियत काे लेकर विवाद होते रहते थे। दबंग इन पर कब्जा कर लेते थे। कानूनी दस्तावेज के बिना बैंक भी किनारा कर लेते थे। दशकों तक ऐसा ही चलता रहा। 2014 में जब हमारी सरकार बनी तो हमने इस मुद्दे से निपटने की ठानी, कोई सरकार अपने गांव के लोगों को इस तरह परेशानी में नहीं छोड़ सकती थी। इसलिए हमने यह योजना शुरू की। हमने तय किया ड्रोन की मदद से देश के गांव-गांव में घर जमीन की मैपिंग कराई जाएगी। उनकी आवासीय संपत्ति के कागज दिए जाएंगे। हमारे देश में 6 लाख से ज्यादा गांव हैं, आधे गांवों में ड्रोन से सर्वे हो चुका है। कानूनी दस्तावेज मिलने के बाद अपने घर संपत्ति के जरिए लोन लेकर छोटा-मोटा व्यापार शुरू किया है। कोर्ट में लंबे विवाद, अवैध कब्जों से दलित पिछड़े आदिवासी परिवार ही सबसे ज्यादा परेशान थे। कानूनी प्रमाण से उन्हें इस संकट से मुक्ति मिल गई है। प्रॉपटी कार्ड बनने के बाद 100 लाख करोड़ से ज्यादा की आर्थिक गतिविधियों का रास्ता खुल सकेगा। इसके जरिए जमीन को भी खास पहचान दी गई है। करीब 23 करोड़ भू आधार नंबर जारी किए जा चुके हैं। इससे आसानी से पता चल जाता है कि कौन सा प्लॉट किसका है। 8 साल में करीब 98 प्रतिशत लैंड रिकॉर्ड का डिजीकरण किया जा चुका है। आजादी के इतने दशकों तक हमारे गांव, करोड़ों लोग इन मूलभूत सुविधाओं से वंचित थे। आदिवासी समाज के परिवार सबसे ज्यादा परेशान थे। साल 2000 में जब अटल जी पीएम थे। तब एक पीएम ग्राम सड़क योजना शुरू की गई थी। तब से आज तक सवा 8 लाख किमी सड़कें बनाई गईं। 10 साल में हमने पौने चार लाख किमी सड़कें बना दी हैं। अब हम सीमांत गांवों में कनेक्टिविटी बढ़ाने वाइब्रेंट योजना चला रहे हैं। बीते दस साल में 2 लाख से ज्यादा पंचायतें ब्रॉड बैंड कनेक्शन से जोड़ी गई हैं। हमारी सरकार ने 5 लाख से ज्याादा नए कॉमन सर्विस सेंटर बनाए हैं। किसानों को सस्ती खाद देने के लिए 12 लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं।