मुंबई, 06 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले की सरकारों ने नॉर्थईस्ट के विकास पर ध्यान नहीं दिया, क्योंकि नॉर्थईस्ट के पास वोट कम थे और यहां सीटें कम थीं। अटल जी की सरकार के दौरान नार्थईस्ट के विकास के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया था। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों ने पिछले दशक में पूर्वोत्तर की 700 यात्राएं कीं। हम पूर्वोत्तर को इमोशन, इकॉनमी और इकोलॉजी की त्रिमूर्ति से जोड़ रहे हैं। पिछले 10 सालों के दौरान हमने पूर्वोत्तर के साथ दिल्ली और दिल के अंतर की भावना को कम करने की कोशिश की है। पीएम मोदी ने ये बातें दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजन तीन दिन के 'अष्टलक्ष्मी महोत्सव' के उद्घाटन पर कहीं। इस कार्यक्रम में पूर्वोत्तर राज्यों सांस्कृतिक विरासत दिखाई जाएगी। पीएम ने कहा कि 'अष्टलक्ष्मी महोत्सव' अपनी तरह का पहला और अनोखा आयोजन आयोजन है। आज इतने बड़े स्तर पर नॉर्थईस्ट में निवेश के द्वार खुल रहे हैं, ये नॉर्थईस्ट के किसानों, कारीगरों और शिल्पकारों के साथ-साथ दुनियाभर के निवेशकों के लिए भी बेहतरीन मौका है।
मोदी ने कहा, हमने बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद, अहमदाबाद, दिल्ली, चेन्नई जैसे बड़े शहरों को उभरते देखा है। आने वाले दशकों में हम अगरतला, गुवाहाटी, गंगटोक, आइजोल, शिलांग, ईटानगर, कोहिमा जैसे शहरों की शक्ति देखेंगे। इसमें अष्टलक्ष्मी जैसे आयोजनों की बहुत बड़ी भूमिका होगी। नॉर्थ ईस्ट में अनेक ऐतिहासिक शांति समझौते हुए हैं। राज्यों के बीच भी जो सीमा विवाद थे, उनमें भी काफी सौहार्दपूर्ण ढंग से प्रगति हुई हैं। नॉर्थईस्ट में हिंसा के मामले में कमी आई हैं। अनेक जिलों से AFSPA को हटाया जा चुका है। हमें मिलकर अष्टलक्ष्मी का नया भविष्य लिखना है, इसके लिए सरकार हर कदम उठा रही है। पूर्वोत्तर भारत में नेचुरल रिसोर्सेस बहुत हैं। पूर्वोत्तर में खनिज, तेल और जैव विविधता का अद्भुत संगम है। यहां रिन्यूएबल एनर्जी की अपार संभावनाएं हैं। पूर्वोत्तर प्राकृतिक खेती और बाजरे के लिए प्रसिद्ध है। हमें गर्व है कि सिक्किम पहला ऐसा राज्य है जो जैविक खेती करता है।
आपको बता दें, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम ऐसे राज्य हैं जिन्हें 'अष्टलक्ष्मी' या समृद्धि के 8 रूप कहा जाता है। ये भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। अष्टलक्ष्मी महोत्सव में नॉर्थईस्ट के पारंपरिक हस्तशिल्प, हथकरघा, कृषि उत्पाद और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने का कॉन्सेप्ट रखा गया है। तीन दिन के इस महोत्सव में कई तरह के कार्यक्रम होंगे। कारीगरों की प्रदर्शनियां, ग्रामीण हाट, राज्य-विशिष्ट मंडप और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए अहम क्षेत्रों पर टेक्निकल सेशन भी होंगे।