मुर्शिदाबाद हिंसा पर हाईकोर्ट कमेटी की रिपोर्ट, स्थानीय TMC नेता की संलिप्तता, पुलिस रही निष्क्रिय, जानिए पूरा मामला

Photo Source :

Posted On:Tuesday, May 20, 2025

मुंबई, 20 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में अप्रैल माह में भड़की सांप्रदायिक हिंसा को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कई गंभीर खुलासे किए हैं। समिति के अनुसार, इस हिंसा में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के स्थानीय नेता और पार्षद महबूब आलम की अहम भूमिका रही। उन्होंने ही उपद्रवियों के साथ मिलकर हमलों का नेतृत्व किया। रिपोर्ट में विशेष रूप से यह भी कहा गया है कि हिंसा का मुख्य निशाना हिंदू समुदाय था और इस दौरान स्थानीय पुलिस ने कोई सक्रियता नहीं दिखाई। पीड़ितों द्वारा बार-बार पुलिस को फोन किए जाने के बावजूद कोई सहायता नहीं पहुंची।

यह तीन सदस्यीय जांच समिति राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रतिनिधियों से मिलकर बनी थी, जिसे हाईकोर्ट ने 17 अप्रैल को गठित किया था। समिति की जांच में यह सामने आया कि हिंसा मुख्य रूप से 11 अप्रैल को दोपहर 2:30 बजे के बाद भड़की, जब पार्षद महबूब आलम उपद्रवियों के साथ इलाके में पहुंचे। इस दौरान बेतबोना गांव को सबसे अधिक नुकसान हुआ, जहां 113 से अधिक घरों को जलाया और लूटा गया। लूटपाट के साथ-साथ कई दुकानों और मॉल्स को भी निशाना बनाया गया।

इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने 4 मई को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पश्चिम बंगाल में कट्टरपंथ और उग्रवाद को बढ़ता हुआ खतरा बताया गया। उन्होंने विशेष रूप से बांग्लादेश से सटे मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर दिनाजपुर जिलों को संवेदनशील क्षेत्र बताया, जहां हिंदू समुदाय अल्पसंख्यक है।

राज्यपाल की रिपोर्ट में चार अहम सुझाव भी शामिल थे, जिनमें सीमावर्ती जिलों में केंद्रीय बलों की तैनाती, हिंसा की जांच के लिए स्वतंत्र आयोग का गठन, केंद्र सरकार द्वारा संवैधानिक विकल्पों पर विचार और जरूरत पड़ने पर अनुच्छेद 356 यानी राष्ट्रपति शासन को एक संभावित विकल्प मानना शामिल है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल इसकी आवश्यकता नहीं है। उनका यह भी कहना था कि मुर्शिदाबाद की यह हिंसा पूर्व नियोजित थी और राज्य सरकार को इसकी पहले से आशंका थी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि हिंसा के भड़कते ही सरकार ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं, जो कि स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

हिंसा से जुड़े मामलों में अब तक 100 से अधिक एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं और कुल 276 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने 21 अप्रैल को ओडिशा के झारसुगुड़ा से 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जो वहां जाकर छिपे थे। इन गिरफ्तारियों में हिंसा के मास्टरमाइंड जियाउल हक और उसके दोनों बेटों सफाउल हक तथा बानी इसराइल भी शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि इनकी गिरफ्तारी सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल टावर लोकेशन के आधार पर हुई। इसके अतिरिक्त, हिंसा में मारे गए हरगोबिंदो दास और चंदन दास की हत्या के मामले में भी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।


गोरखपुर और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. gorakhpurvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.