नोएडा के सेक्टर 8, 9 और 10 की झुग्गियों में रहने वाले लोग पैसे देकर फ़िल्टर किया हुआ पानी खरीदने को मजबूर हैं, क्योंकि नोएडा प्राधिकरण द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले नल के पानी की गुणवत्ता खराब है। निवासियों ने आरोप लगाया कि पानी से बदबू आती है और दैनिक दिनचर्या में इसका उपयोग करना कठिन है। प्रत्येक घर की औसत खपत 40 लीटर है और वे 20 रुपये प्रति लीटर का भुगतान कर रहे हैं।
लोग वर्तमान जल संकट का वर्णन इस प्रकार करते हैं कि आपूर्ति किया जाने वाला पानी केवल नहाने और कपड़े धोने के लिए ही उपलब्ध है। इन क्षेत्रों में लोग खरीदकर पानी प्राप्त करते हैं, क्योंकि नल का पानी पीने या खाना पकाने के लिए उपयुक्त नहीं है। यहां की जनता दो अलग-अलग विक्रेताओं से बोतलें खरीदकर प्रतिदिन 40 लीटर पानी खर्च करती है। एक पानी की बोतल का कुल खर्च 20 रुपये आता है।
सेक्टर 8, 9 और 10 की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले निवासियों का कहना है कि उनके नल का पानी सुरक्षित रूप से नहीं पिया जा सकता। निवासियों ने गंदे पानी के बारे में नोएडा प्राधिकरण से लगातार शिकायत की है, फिर भी प्राधिकरण कोई कार्रवाई करने में विफल रहा है। लोगों को खाना पकाने और पीने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिदिन दो बोतलें खरीदनी पड़ती हैं। पीने के पानी की एक बोतल की कीमत भारतीय मुद्रा में बीस रुपये है।
घर के मालिकों को खरीद के बाद बोतलें जल संयंत्र से प्राप्त करनी होंगी। इस क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि उन्हें पानी के लिए मासिक 5000 रुपये से अधिक का भुगतान करना पड़ता है। विशिष्ट अंतरालों के बीच होने वाली छुट्टियों के दौरान पानी की कीमत बढ़ जाती है। जिससे हमारा बजट बिगड़ जाता है। प्राधिकरण के प्रमुख अधिकारी इन क्षेत्रों का दौरा करने से बचते हैं। निवासियों ने अधिकारियों पर अपने कर्तव्यों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है, जिसके कारण उन्हें पीने के लिए पानी खरीदना पड़ रहा है।
महिलाओं के अनुसार नलों में गंदा पानी आता है। नल के पानी से आने वाली अप्रिय गंध निवासियों को प्रतिकूल स्थिति में डाल देती है। हमने पिछले कई वर्षों से पानी का उपभोग किया है। पेयजल आपूर्ति को लेकर कई बार गड़बड़ी की घटनाएं हो चुकी हैं। हर बार अधिकारी वादे तो करते हैं लेकिन कभी अमल नहीं होता। महिलाओं का कहना है कि प्राधिकरण ने अपना कार्यालय उनके आवासीय क्षेत्र में ही बना रखा है। अधिकारियों द्वारा वादा किए जाने के बावजूद नागरिकों को सुरक्षित पेयजल नहीं मिल पा रहा है। प्राधिकरण का कहना है कि वह सेक्टरों में स्वच्छ जल सेवाएं प्रदान करता है। वास्तविक स्थिति इन दावों के विपरीत है।
सत्यनारायण के अनुसार हजारों परिवार गरीब इलाकों में रहते हैं। नल पाइप के माध्यम से पीने योग्य पानी की आपूर्ति दो दशकों से अनुपस्थित है। वह कई वर्षों से पानी खरीदकर पीते आ रहे हैं। नल के माध्यम से पीने योग्य पानी की आपूर्ति इसकी उपलब्धता के बाद से एक बार भी नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि बढ़ती गर्मी के कारण पानी की खपत और उसके लिए भुगतान की जाने वाली लागत दोनों बढ़ जाती है। मुकेश ने शिकायत की कि उसे स्वच्छ जल की आपूर्ति नहीं मिल रही है, क्योंकि अधिकारी उसकी स्थिति के लिए जिम्मेदारी लेने में विफल रहे हैं। व्यक्ति को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी को ढूंढना होगा, क्योंकि दोषी लोग अपने पद छोड़ चुके हैं।
नोएडा प्राधिकरण ने पुष्टि की है कि सेक्टर 8 से सेक्टर 10 तक उसकी प्रणाली से जलापूर्ति होती है। जब निवासी अपने घरों में गंदे पानी की शिकायत करते हैं तो अधिकारी मौके पर जांच करते हैं। जब निवासी पिछले निरीक्षणों के बावजूद गंदे पानी मिलने की शिकायत करेंगे तो प्राधिकरण इस मुद्दे का निरीक्षण करेगा। उनके संगठन की सर्वोच्च प्राथमिकता सभी निवासियों को स्वच्छ जल उपलब्ध कराना है। निकट भविष्य में तीनों क्षेत्रों के लोगों को समाधान उपलब्ध कराया जाएगा।