1 अप्रैल ओडिशा के लोगों के लिए बहुत खास दिन है। यह सिर्फ एक तारीख नहीं बल्कि गर्व और खुशी का दिन है। 1936 में इसी दिन ओडिशा एक अलग राज्य बना और ओड़िया भाषा को मान्यता मिली। यह सब आसान नहीं था; इसके लिए लोगों ने वर्षों तक कड़ी मेहनत और संघर्ष किया। मधुसूदन दास और उत्कल सम्मिलनी जैसे संगठनों ने बड़ा योगदान दिया। आज उत्कल दिवस के अवसर पर ओडिशा अपनी संस्कृति, परंपरा और इतिहास का जश्न मनाता है। यह दिन हर ओडिया के दिल में बसता है और उनकी एकता और पहचान को मजबूत करता है।
ओडिशा की स्थापना और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ओडिशा, जिसे पहले उड़ीसा के नाम से जाना जाता था, 1 अप्रैल 1936 को एक अलग राज्य बन गया। यह पहले बिहार और उड़ीसा प्रांतों का हिस्सा था, जिन्हें 1912 में ब्रिटिश सरकार ने बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग कर दिया था। ओडिशा भारत का पहला राज्य था जो भाषा के आधार पर बना था। इसके गठन के समय मद्रास प्रेसीडेंसी से कोरापुट और गंजम जिले इसमें जोड़े गए थे।
ओडिशा के लिए संघर्ष और आंदोलन
ओडिशा के लिए अलग राज्य की मांग 19वीं सदी के अंत में शुरू हुई। यह आंदोलन ओड़िया भाषा, संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए था। 1882 में "उत्कल सभा" का गठन किया गया, जिसने ओडिशा के लिए एक अलग राज्य की मांग उठाई। 1903 में मधुसूदन दास के नेतृत्व में "उत्कल सम्मिलनी" नामक संगठन का गठन किया गया। उन्हें ओडिशा राज्य के गठन में एक प्रमुख नेता माना जाता है। उनके प्रयासों और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नीतियों के कारण 1936 में ओडिशा एक अलग राज्य बन गया।
ब्रिटिश शासन और ओडिशा की राजनीतिक स्थिति
ब्रिटिश शासन के दौरान ओडिशा में कई बड़े परिवर्तन हुए। 1568 में बंगाल सल्तनत ने इस क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया। बाद में यह मराठों के नियंत्रण में आ गया और 1803 में इसने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। पहले ओडिशा बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था लेकिन 1912 में इसे बिहार और उड़ीसा प्रांत के रूप में एक नया प्रशासनिक ढांचा मिला। हालाँकि, ओड़िया भाषी लोगों को प्रशासन में कोई विशेष लाभ नहीं मिला, जिससे अलग राज्य की मांग और बढ़ गई।
उत्कल दिवस का महत्व
1 अप्रैल को उत्कल दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो ओडिशा के गठन की याद दिलाता है। यह दिन ओडिशा की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और संघर्ष का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रसिद्ध रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक अपनी कलाकृतियों के माध्यम से ओडिशा की महानता को प्रदर्शित करेंगे। ओडिशा न केवल भाषा के आधार पर गठित भारत का पहला राज्य है, बल्कि यह अपनी ऐतिहासिक विरासत, कला और परंपराओं के लिए भी जाना जाता है।
निष्कर्ष
उत्कल दिवस ओडिशा के लोगों के लिए गर्व और एकता का प्रतीक है। यह दिन न केवल अतीत के संघर्षों को याद करने का अवसर है बल्कि भविष्य के लिए राज्य को और मजबूत बनाने की प्रेरणा भी देता है। ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, कला, संगीत और परंपराएँ इसे भारत के अन्य राज्यों से अलग बनाती हैं। उत्कल दिवस पर हर ओडिया को अपने राज्य की उपलब्धियों और इतिहास पर गर्व होना चाहिए।